...

23 views

अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं...✍️
अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं

ख्वाबों की छतरियों तले
जब कोई मेरी उदासी का
सबब पूछता है
अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं

किसी जिंदान में सदियों से बैठे
किसी मुजारिम की उदास आंखों से
निकलती हुई बूंद
जब उसके गालों को सहलाती है
या किसी अनचाहे मौसम की
कोई बहार मुझे पुकारती है
अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं

अर्स के मानिद कोई था मेरे लिए
कभी उसकी याद में
तो कभी उसके साथ गुजरे लम्हों में
खोने की तलब जब बेचैन करती है
एक आह दिल से निकलती है
जब कोई गम मन में तूफान लाता है
अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं

जिसे खुदा मानकर दोस्ती का हाथ
बढ़ाया था मैने जिसकी ओर
उसके दामन में भीड़ हजारों की है
गैरों से यूं मुख्तलिफ होने की तलब
उसके दिल को जरा भी नहीं तड़पाती
जब ये ख्याल मन में उठता है मेरे तो
अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं

मेरी खुद्दारी का सबब उसे पसंद नही
मेरे एहसासों की जिसे कदर नही
जिसके लिए तड़पा है दिन रात ये दिल
उसे मेरे खुश रहने की कोई फिक्र नहीं
छोड़ दिया उसे भी कोई गैर समझकर
जो अपना बनाकर गैरों सा रहा अक्सर
फिर भी जब उसकी याद सताती है मुझे
अक्सर खामोश हो जाता हूं मैं


#love #life #writco #writcoquotes #poetry #urdu #nazm #yourquote #sad #broken

© Tanha_Mushafir