फिर लौटा हूं शहर में
आज फिर लौटा हूं शहर में तो
वो बस्ती नहीं मिली मुझको
देखता था साहिल पर जिसे हर रोज़
यादों की वो कश्ती नहीं मिली मुझको
है घर वहीं दरख्तो की करारो में
मै जिसे देखता था हर रोज सितारों में
...
वो बस्ती नहीं मिली मुझको
देखता था साहिल पर जिसे हर रोज़
यादों की वो कश्ती नहीं मिली मुझको
है घर वहीं दरख्तो की करारो में
मै जिसे देखता था हर रोज सितारों में
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