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कुछ सच!
खुद गलती नहीं किए हो तो जीवन कैसा ?
हां, खुदके गलती तुम मानते नहीं हो!
इसलिए तुम इंसान कैसा?
निर्भर वो करता है जिसको पता है वो एक अधूरा इंसान है!
अपने भविष्य से वोही डरता है जो जिंदगी में कुछ गलत किया हो।
धोका,प्रतिसोध, घृणा, अहंकार, ईर्षा वोही करता है जिसमे प्रेम करने की ताकत नहीं है।
दुनिया को गलत वोही कहता है वो खुद गलत हो।
वरना कोई अपने घर को कैसे निंदा कर सकता है।
औरों को दोष देने वाला खुद किसके दोषी हो कर जिंदगी जीता है।
अपने प्रेमी को गलत साबित करने इंसान खुद और किसके गुनहगार होता है।
Simple सी बात है,
खुदको ईश्वर के सामने एक इंसान बनाने में इतना व्यस्त हो जाओ की तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे आस पास की लोग भी इंसान बन जाए।
© dikshya
हां, खुदके गलती तुम मानते नहीं हो!
इसलिए तुम इंसान कैसा?
निर्भर वो करता है जिसको पता है वो एक अधूरा इंसान है!
अपने भविष्य से वोही डरता है जो जिंदगी में कुछ गलत किया हो।
धोका,प्रतिसोध, घृणा, अहंकार, ईर्षा वोही करता है जिसमे प्रेम करने की ताकत नहीं है।
दुनिया को गलत वोही कहता है वो खुद गलत हो।
वरना कोई अपने घर को कैसे निंदा कर सकता है।
औरों को दोष देने वाला खुद किसके दोषी हो कर जिंदगी जीता है।
अपने प्रेमी को गलत साबित करने इंसान खुद और किसके गुनहगार होता है।
Simple सी बात है,
खुदको ईश्वर के सामने एक इंसान बनाने में इतना व्यस्त हो जाओ की तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे आस पास की लोग भी इंसान बन जाए।
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