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एक हल्की सी मुस्कराहट अपनी
हां कई दफ़ा सुना है मैंने लोगों को
पुराने बीते समय के लिए रोते हुए
अगर सोचो ना कि अच्छा था
तो यार रोकर के मिलेगा क्या
और मुस्कुराओगे तो क्या हो जाएगा
जो पल उसकी याद में गुज़ारते हो रोते हुए अगर थोड़ा खुश होकर ग़ुज़ारोगे तो क्या हो जाएगा
वैसे नहीं हूं अन्जान न अपरिचित हूं इस बात से मैं
कि ज़िन्दगी आसान की तो बात छोड़ो
रूलाने का कोई कसर नहीं छोड़ती
पर फ़िर भी उन लम्हों में तुम अग़र
हंस लोगे यूं खिलखिलाकर तो क्या हो जाएगा
गुज़रता है जो गुज़र जाने दो ना,,...