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छोटी सी प्रेम कहानी!
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हाँ मैं हूँ सीधा साधा, भोला भाला,
लगा पड़ा है मेरी अक्ल पे ताला।
जी रहा हूँ पल-पल इसी आस में,
कहीं तो होंगी, कोई तो होंगी मेरी तलाश में।

मैं बेकरार हूँ अपने सनम के दीदार को,
शायद वो भी बेचैन होगी मिलने अपने प्यार को।
अटकलें लगाता हूँ,वो ऐसी होगी वैसी होंगी,
ना जाने किस हाल में कहां और कैसी होंगी।
पर दिल कहता है, जहाँ भी है अच्छी होंगी,
लाड़ली होगी वो सबकी, ख्याल की सच्ची होगी।
ग़ुलाबी होंठ होंगे, बड़ी बड़ी काली आंखे होंगी,
चमकते चेहरे पे लटकते घनी जुल्फ़े होंगी।
गोरे बदन पर काली पोशाक फब्ती होगी,
अगर ये सच है तो ,वाकई मस्त लगती होगी।

खैर वो वक्त भी आया, जब मेरी नजर उनसे टकराई,
मैं मन ही मन मुस्काया, वो भी नजरें चुराके मुस्कुराई।
बस क्या था मेरा पासा चल गया मेरे भाई,
तुरंत ही पास आया, पकड़ ली उसकी कलाई।
मत पूछो क्या हाल था मेरा उस पल,
रोम रोम खिल उठे, पांव जमीन पर नही थे मेरे भाई।
ऐसा लग रहा था मानो, जीत ली हो मैंने बड़ी लड़ाई,
तुरंत ही ख्याल में ही, कर ली उनसे सगाई ।
वो झट से खींचकर छुड़ाई अपनी कलाई,
वही खड़ा रहा मैं बांहे फ़ैलाये, नज़रों से प्यार की फ़ुहार बरसाई,
स्तब्ध थी वो ,अपने आशिक़ की नजाकत पर,
पहले थोड़ा शर्माई, फिर वो मेरी बाहों में चली आई।
❤️🌲❤️🌲❤️🌲❤️🌲❤️🌲❤️


© jindagi