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फोकट में मिलता है...💯💯✍️✍️( गजल)
अब कौन किससे संकट में मिलता है
मुझको सुकूं तेरी आहट में मिलता है

बस एक खुदा की इबादत है सांची
झूठा किरदार हर नाटक में मिलता है

वो देखकर के झुका लेता है नजरें
वो प्रातः मुझे पनघट में मिलता है

मैं जब भी सोचता हूं उसे 'सत्या'
वो हर वक्त मेरे निकट में मिलता है

प्यार पाने के लिए प्यार दो पहले
ये प्रसाद नहीं जो फोकट में मिलता है

कुछ पल चाहे महलों में रह लो आप
पर आनंद घर की चौखट में मिलता है

कोई दर नहीं खुला है मोहब्बत का
हमें ताला हर फाटक में मिलता है

उसे हमसे मिलने की फुर्सत है कहां
वो बैठा रकीबों की बैठक में मिलता है


© Shaayar Satya