---:"माँ की गाथा":---
माँ की गाथा सूनो ओ लोगों,आज इसे मैं सुना रहा
क्या होती है माँ इस जग में,आज इसे मैं बता रहा!
एक देवी जो जनकर हमको इस दुनिया मे लाती है
कोख मे अपने रखती है और अपना दूध पिलाती है!
नवजीवन माँ ही देती है, इनका तुम सम्मान करो
सब देवों से पहले अपने, माँ को तुम प्रणाम करो!
अपनी माँ को दुःख ने देंगे, आज से तुम ये ठान लो
माँ से बढ़कर कोई ना दूजा, आज से इसको मान लो!
गर माँ के दिल को कभी किसी ने, थोड़ा भी दुखाया हैं
बहुत बड़ा बनने पर भी, चैन कभी ना पाया हैं!
माँ ही...
क्या होती है माँ इस जग में,आज इसे मैं बता रहा!
एक देवी जो जनकर हमको इस दुनिया मे लाती है
कोख मे अपने रखती है और अपना दूध पिलाती है!
नवजीवन माँ ही देती है, इनका तुम सम्मान करो
सब देवों से पहले अपने, माँ को तुम प्रणाम करो!
अपनी माँ को दुःख ने देंगे, आज से तुम ये ठान लो
माँ से बढ़कर कोई ना दूजा, आज से इसको मान लो!
गर माँ के दिल को कभी किसी ने, थोड़ा भी दुखाया हैं
बहुत बड़ा बनने पर भी, चैन कभी ना पाया हैं!
माँ ही...