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हनुमंत - हुंकार
1- मात अंजना, गयी वन में,
न लिया नन्हें मारुति को संग में,
उठे निद्रा से जब केसरीनंदन,
लगी क्षुधा न मिले फल-चंदन,
देख सूर्यदेव की लालिमा,
समझे गोल-गोल सेव पलागम,
भरी उछाल एक ही बार में,
मुख में लियो श्रीसूर्य भगवान नै !
भयो जगत में हाहाकार,
दिखायों बाल मारूति चमत्कार !!

2- मात जानकी खोजन ताही,
करूणा भयी कृपानिधान की,
देख समंदर सोचन लागै,
जामवंत याद दिलायो ताही,
दो कुलांच में करियो पार,
यूं महावीर भरी हुंकार !
जगतजननी को पतो लगायो,
लंका जला-जला ही आयो!!

3- लक्ष्मण भये मूर्च्छित शक्तिबाण स्यूं,
जावत रहे हनुमान द्रोणाचल धाम को,
जब संजीवनी पहचानत नाहीं,
विशालकाय गिरी ही उठावत लायी,
कालनेमि मार गिरायो इह माही,
जब तीसर पवनसुत कूदाल लगाई।

4- अहिरावण स्यूं पार लगायों,
पाताललोक दर्शन कर आयों,
छुड़ा राम-लखन दो भाई,
रावण-सखा ने मार गिरायो,
निजपुत्र द्वारपाल मकरध्वज ने,
पातालपुरी रो राज दिरायो !


5- हुयी विजय, जब रावण-वध से,
अयोध्या बाजें बाजत लागै,
राजतिलक तैयारी भय रही,
रामदूत पंचम फलाँग भराई !
लंका स्यूं अयोध्या आये,
सदा राम-चरण में नियुक्ति पाये !!

©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 16 February, 2022
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