...

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आसूं
है बड़ा बेजुबां सा....
इश्क़ नहीं आंखों का पानी....
बिना गहराई में भी ये मन डूब जाता है....
टूटा जो दिल कभी....
आंखें बेहिसाब रोता है ....
कहानी जो कभी उसकी थी...
आज़ वो मेरी लगती है....
पीर पराई वो क्या समझे....
जो दर्द बेहिसाब देता है....
आंसूओं की क़ीमत वो क्या जाने....
जो फ़रमान मौत का सुनाते हैं....
लिख - लिख कर क्या दिल का दर्द बताए....
कभी - कभी मुस्कुरा के हाल ....
दिल का छुपाना होता है...
आ गए जो तेरी...