कागज़ पर कहां सब कुछ लिखा पाता है
कागज़ पर सब कुछ कहां लिखा पाता है,
हार जो चुके अंदर से, सब लम्हा चीर देता है;
उन बातों को भी कहां भुलाया जाता है,
जिससे सारे सपने संजोए, दिल टूट जाता है;
वक्त ना जाने कितना लगेगा, सब सही होने में,
अब कहां मन होता हैं, ज़िन्दगी को ज़ीने में;...
हार जो चुके अंदर से, सब लम्हा चीर देता है;
उन बातों को भी कहां भुलाया जाता है,
जिससे सारे सपने संजोए, दिल टूट जाता है;
वक्त ना जाने कितना लगेगा, सब सही होने में,
अब कहां मन होता हैं, ज़िन्दगी को ज़ीने में;...