...

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rapist society
बलात्कारी समाज

ना जाने वो कैसी काली रात थी
सुन शाम पडा वो जगं सारा था
अँधेरे चलती वो नन्ही सी जान थी
अधेरे में लूट वो आबरू गए उसकी
खुदा की नजरो में आज भी वो पाक थी
ना जाने ये कैसा खोखला समाज...