पिया-प्यासी।
सजी हुई लटें उलझाने
अब तो पिया तुम आ जाओ
मन में अग्न तुम्हारी है
तन को भी समझा जाओ।
सही ना जाये दूरी तुमसे
कुछ ऐसे दूरी मिटा जाओ
सांसें-सांसों में समा जायें
वो मीठी नींद सुला जाओ।
मेरे यौवन के मकरंद पे
तुम मधुप बनकर छा जाओ
सब रस निचोड़ कर ले जाओ
वो अदभुत राग-रंग दे...
अब तो पिया तुम आ जाओ
मन में अग्न तुम्हारी है
तन को भी समझा जाओ।
सही ना जाये दूरी तुमसे
कुछ ऐसे दूरी मिटा जाओ
सांसें-सांसों में समा जायें
वो मीठी नींद सुला जाओ।
मेरे यौवन के मकरंद पे
तुम मधुप बनकर छा जाओ
सब रस निचोड़ कर ले जाओ
वो अदभुत राग-रंग दे...