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तलाश
लाचार परिंदे,
कैद में रखे,देख दरिंदे।
करते विचार,
कोपभाजन का बने शिकार।
सहें शिकस्त,
गिड़गिड़ाये हर वक्त।
मजबूत पकड़,
रूढियों ने लिया बस जकड़।
तकदीर सोई,
हमदर्द न मिला कोई।
कैसे उड़ पायें,
कतरे पंख की मिलीं सजायें।
जारी है तलाश,
हों चाहे कितने हताश।
नहीं डगमगाये,
हौसलों संग रिश्ते हैं बनाये।
© Navneet Gill
कैद में रखे,देख दरिंदे।
करते विचार,
कोपभाजन का बने शिकार।
सहें शिकस्त,
गिड़गिड़ाये हर वक्त।
मजबूत पकड़,
रूढियों ने लिया बस जकड़।
तकदीर सोई,
हमदर्द न मिला कोई।
कैसे उड़ पायें,
कतरे पंख की मिलीं सजायें।
जारी है तलाश,
हों चाहे कितने हताश।
नहीं डगमगाये,
हौसलों संग रिश्ते हैं बनाये।
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