...

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*ख़त*
वोह ख़त लिखने का .....
सिलसिला भी ख़ूब था।
ज़िंदगी में कुछ पल को ....
समेटे रखना भी ख़ूब था।
अपनो से मोहब्बत के ....
अंदाज़ ही निराले थे।।
इंतज़ार का मज़ा ही ख़ूब था।
आया डाकिया लेकर संदेश ...
हाय ! दिल थाम के पत्र को ....
पढ़ना भी ख़ूब था ।।
है अगर खुशियों का संदेश.....
तो वोह मुस्कुराना और......
खिलखिलाना भी ख़ूब था।।
आ गई अगर गम की चिठ्ठियां ...
तो गम भी मिल बांट कर .....
भूल जाना भी ख़ूब था।।
अनमोल पल को क़ैद रखना .....
वोह ख़त का सिलसिला में ख़ूब था।।
#writco #28april
#mahjabeentabassum.