संग था
रेत की तरह जीवन कितना सरल था
दो लफ्ज़ भी जहा अहम था
इंसान को इंसानियत से भर्म था
ना मुस्किल ना डर का संग था
खुली आसमा मैं सास लेने का मन था...
दो लफ्ज़ भी जहा अहम था
इंसान को इंसानियत से भर्म था
ना मुस्किल ना डर का संग था
खुली आसमा मैं सास लेने का मन था...