...

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कितने प्यार से.....
(1)कितने
प्यार से.
छुवा
था
उसने मेरे ज़ख्म क़ी
उपरी सतह को

और कैसे राहत मिल गई थींमुझे और
मेरे जिगर क़ी अंतिम
कोशिका को

(2)मेरे दर्द को उसने.
आज तक समझने क़ी
कोशिश नहीं क़ी
उलटे
अब तो वो ज़ख्मो पर.
नमक छिड़कने क़ी कला मे
भी कितना निपुण हो गया हैँ