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देशभक्तों को नमन
जिनके कंधों पर टिका है
देश के स्वाभिमान का प्याला
शत्रु कांपते थे थर-थर
देख जिनके नैनों की ज्वाला
जिनके गौरव की गाथाएं
गा रहे हैं नित् धरती गगन
उन वीर शहीदों को नमन

जान से ज्यादा चाहा जिन्होंने
अपनी मातृभूमि की धूल को
हाथ खड्ग ले काट गिराया
हर अरिदल, हर शूल को
सहर्ष कूद पड़े रणभूमि में जो
अपने शीश पर बांध कफ़न
उन वीर शहीदों को नमन

कितनी माएं रोई थी,
कितनी स्त्रियों ने सिंदूर मिटाया था
कितनी बहनों की राखी टूटी,
तब जाकर आज़ादी का अमृत पाया था
जिनके निःस्वार्थ सहयोग से
आजाद हुआ था हमारा वतन
उन निर्भीक वीरांगनाओं को नमन

आज भी जिनके बलिदानों पर
भारत माता गर्वित होती
अपने सपूतों का शौर्य देख
क्षण- प्रतिक्षण वह पुलकित होतीं
जान की बाज़ी लगा गए वो
जिन्हें देशभक्ति की लगी लगन
उन वीर शहीदों को नमन

जिनके कारण चैन से सोता
है प्रतिदिन हर भारतवासी
सरहद पर सीना ताने जो
जगाते हैं सुरक्षा अविनाशी
जिनके शोणित से सिंच कर
खिलखिला रहा है ये चमन
उन वीर सैनिकों को नमन

नाम हो या चाहे गुमनामी आए
उन देशभक्तों के हिस्से
बसते हैं कण कण में वो
बनकर देशप्रेम के किस्से
अमर रहे हैं , अमर रहेंगे
बनकर भारत के नयन
उन वीर शहीदों को नमन

© Anirya