देशभक्तों को नमन
जिनके कंधों पर टिका है
देश के स्वाभिमान का प्याला
शत्रु कांपते थे थर-थर
देख जिनके नैनों की ज्वाला
जिनके गौरव की गाथाएं
गा रहे हैं नित् धरती गगन
उन वीर शहीदों को नमन
जान से ज्यादा चाहा जिन्होंने
अपनी मातृभूमि की धूल को
हाथ खड्ग ले काट गिराया
हर अरिदल, हर शूल को
सहर्ष कूद पड़े रणभूमि में जो
अपने शीश पर बांध कफ़न
उन वीर शहीदों को नमन
कितनी माएं रोई थी,
कितनी स्त्रियों ने सिंदूर मिटाया था
कितनी बहनों की राखी...
देश के स्वाभिमान का प्याला
शत्रु कांपते थे थर-थर
देख जिनके नैनों की ज्वाला
जिनके गौरव की गाथाएं
गा रहे हैं नित् धरती गगन
उन वीर शहीदों को नमन
जान से ज्यादा चाहा जिन्होंने
अपनी मातृभूमि की धूल को
हाथ खड्ग ले काट गिराया
हर अरिदल, हर शूल को
सहर्ष कूद पड़े रणभूमि में जो
अपने शीश पर बांध कफ़न
उन वीर शहीदों को नमन
कितनी माएं रोई थी,
कितनी स्त्रियों ने सिंदूर मिटाया था
कितनी बहनों की राखी...