थोड़ी उम्मीद..
राते सहमी सहमी सी है,
आँखे नम और थकी सी है,
दिल लाचार अकेलेपन में तन्हा बैठा है,
खुद पर यकीन रखना ही अब महँगा पड रहा है।
ये राते हमसे इतनी मोहोब्बत करने लगी है,
की सबको सुलाकर अकेले में हमसे ही बाते करती है,
दिन रात बस खयालो से ही झुंझते रहते है,
सुबह उठते ही सबके ताने सूनते है।
की तू किसी काबिल नही है,
की तू बस बहानो का खजाना लेके घूम रहा है,
पूरी दुनिया...
आँखे नम और थकी सी है,
दिल लाचार अकेलेपन में तन्हा बैठा है,
खुद पर यकीन रखना ही अब महँगा पड रहा है।
ये राते हमसे इतनी मोहोब्बत करने लगी है,
की सबको सुलाकर अकेले में हमसे ही बाते करती है,
दिन रात बस खयालो से ही झुंझते रहते है,
सुबह उठते ही सबके ताने सूनते है।
की तू किसी काबिल नही है,
की तू बस बहानो का खजाना लेके घूम रहा है,
पूरी दुनिया...