# समझौता
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे
मुझ से कैसे रूठा रे ,
तेरे बिना मैं अधूरी रे;
तू साथ नहीं तो मेरा जीना नहीं ज़रूरी रे
मैं तेरा आईना हूं
तू मेरा प्रतिबिंब
नहीं रह पाओगे
मुझ से जुदा ,
फिर मुंह पे अलग होने का ये कैसा रट रे ;
निखर जाएगा समझौता कर ले
— अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी—
© Anki
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