...

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बस एक लक्ष्य मेरे दिल में
एक दिन जब हम आये थे
ऑंखें मूंदकर सोते थे
कुछ पल बीते, हम बड़े हुए
मम्मा, डैडी कहने लगे
ऑंख खुली एक दिन जैसे
पता नहीं मैंने क्या सोचा होगा
बस एक लक्ष्य मेरे दिल में.....
होना है मुझको कभी बड़ा
बस एक लक्ष्य मेरे दिल में.....
एक सीढ़ी पर तो
हम चढ़ ही गये
पर अभी दूसरी बाकी है
कुछ बडे़ हुए, वो साल गया
अब मेरा तो नया हुआ
हाथ पकड़ करके माँ का
ठुमुक- ठुमुक के चलते थे
एक दिन ऐसा आ ही गया
दूसरी सीढ़ी पर पहुँच गये
पर अभी तीसरी बाकी है
कुछ बडे़ हुए वो साल गया
अब मेरे लिए, नया साल हुआ
पल- पल बीते क्षण-क्षण बीते
बस एक लक्ष्य मेरे दिल में.....
होना है मुझको कभी बड़ा
कुछ पल मेरे लिए नया हुआ
तीसरी सीढ़ी चढ़ने लगे
यूनिफॉर्म,सूज,टाई, बेल्ट,
टिफिन भी बैग में पैक हुए
माँ- पिता का चरण स्पर्श करके
हम विद्यालय निकल पड़े
साल गया हाॅं!...