एक तरफा इश्क़
कुछ कहा कुछ अनकहा
थोड़ा मगरुर
थोड़ा मजबूर
अपने ही प्रश्नों में उलझा
कभी डरा सहमा
कभी जिज्ञासु
काँपते स्वर में
ना जाने कितने दर्द
कितनी कहानियाँ...
थोड़ा मगरुर
थोड़ा मजबूर
अपने ही प्रश्नों में उलझा
कभी डरा सहमा
कभी जिज्ञासु
काँपते स्वर में
ना जाने कितने दर्द
कितनी कहानियाँ...