...

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मैं भी आ गया।
मैं भी आ गया
एक अपरिचित गली में,
थोड़ा सा सहमा हुआ
थोड़ा सा कुतूहल लिए हुए।

कुछ बिछड़े मित्रों को ढ़ूंढता हुआ
नई मित्रता की तलाश लिए
आगे बढ़कर थाम लो मेरा हाथ
यहाँ आया हूँ बहुत आस लिए।
© "राहगीर"