नज़्म : अनकहे एहसास
बीच कहीं रह गए मेरे अनकहे एहसास
बेचैन बेबस कर देते हैं अनकहे एहसास
आँखों से निकल कर अश्कों में ढल गए
बिन मौसम मेरे आँगन बरसते एहसास
इक आग लगा देते हैं दिल ओ...
बेचैन बेबस कर देते हैं अनकहे एहसास
आँखों से निकल कर अश्कों में ढल गए
बिन मौसम मेरे आँगन बरसते एहसास
इक आग लगा देते हैं दिल ओ...