...

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ख़्वाब मेरा
टूटा टूटा ख़्वाब रहा है
आंखों में अश्क बनके बहा है
जिंदगी जैसी देखीं मैंने
वैसा कुछ ना मुझको मिला है

ख़्वाब मेरा ख़्वाब मेरा
आंखों में अश्क बनके बहा है

आस जो दिल में थी
टूटी वो रफ्ता रफ्ता
हदें सारी कम हुई जो
रोई आंखें हफ़्ता हफ़्ता

साफ़ दिल था साफ़ मन था
फिर भी रूठा ये आलम था
हमने जो चाही थी मंजिल
हर अपने को भी मालूम था

मुझको रोका तोहमतें देकर
कोई मेरे संग नहीं था
तन्हां जीया संग ख्वाबों के
जिंदगी में कोई रंग नहीं...