...

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ख़्वाब मेरा
टूटा टूटा ख़्वाब रहा है
आंखों में अश्क बनके बहा है
जिंदगी जैसी देखीं मैंने
वैसा कुछ ना मुझको मिला है

ख़्वाब मेरा ख़्वाब मेरा
आंखों में अश्क बनके बहा है

आस जो दिल में थी
टूटी वो रफ्ता रफ्ता
हदें सारी कम हुई जो
रोई आंखें हफ़्ता हफ़्ता

साफ़ दिल था साफ़ मन था
फिर भी रूठा ये आलम था
हमने जो चाही थी मंजिल
हर अपने को भी मालूम था

मुझको रोका तोहमतें देकर
कोई मेरे संग नहीं था
तन्हां जीया संग ख्वाबों के
जिंदगी में कोई रंग नहीं था

ख़्वाब मेरा ख़्वाब मेरा
आंखों में अश्क बनके बहा है
जो थे ग़म टूटे सफ़र के
दिल ने सब कुछ ही सहा है
ख़्वाब मेरा ख़्वाब मेरा
आंखों में अश्क बनके बहा है

झूठे अपने टूटे सपने
गैरों से लगते हैं अपने
हैं फरेबी ये ज़माना
तोड़े मेरे सारे सपने

सुन मेरे ओ यारा
ऐतबार ना कर तु
ख़ुद से तु प्यार कर ले
हर किसी पे ना मर तु

कोई मेरे संग नहीं था
कोई मेरे संग नहीं है
आस जिससे तुम लगाओ
वो भी यारा संग नहीं हैं

ख़्वाब मेरा ख़्वाब मेरा
आंखों में अश्क बनके बहा है

मंजिल मेरी भी थी
पर फना किया अपनों के लिए
मजबूर रहा दिल था
जीया सिर्फ अपनों के सपनों के लिए

ख़्वाब मेरा ख़्वाब मेरा
आंखों में अश्क बनके बहा है
-उत्सव कुलदीप













© utsav kuldeep