...

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“इश्क में मैं पागल” आवारा नहीं

हूँ मैं आशिक दीवाना तेरे हुस्न का
“इश्क में मैं पागल” आवारा नहीं |

था नहीं हाल इतना बुरा कल मेरा
आज हालत मेरी ठीक लगती नही | इश्क में मैं ......

उनकी नजरों से नजर मिल जब मेरी
ये मेरा दिल मेरा रहा ही नहीं | इश्क में मैं ......

ठहर जाओ जरा दीदार-ए-हुस्न कर लेंने दो
ये आदयें तुम्हारी मार डालें नहीं | इश्क में मैं ......

यूं न कर तू सितम मुझपे ये दिलनशी
नीर आँखों में खुशी के छिपते नहीं || इश्क में मैं ......

है ये गहरे समुन्द्र नयन जो तेरे
पागल आशिक कहीं डूब जाए नहीं | इश्क में मैं ...... ।

रचनाकार
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही , मध्य प्रदेश
© -Neeraj Mishra "Neer" ✍️