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(बचपन तुम लौट के आना )
बचपन तुम लौट के आना
मैने जिया नही तुझे
यूँ ही क्योकि तुझे जीना मेरे हक़ में ना था
तुम कहीं गलीयो में गुज़रे, तुम जिन रास्तो में थे
तुम कब-कब हँसे तुम कब-कब रोए
मुझे कुछ याद ही नही !
तुम ना बनाना ये बहाना
कि अब तो बड़ी हो चुकी हो तुम
एक बार जो याद दिला पाओ मुझे तब मुझे याद आ जाऐगा और एक बार फ़िर मैं बच्ची बन जाऊँगी ।
बचपन तुम लौट के आना
वही खेल,वही खिलौने
वही मकान ,वही लोग लौट आए वापस ये तो मुमकिन नही पर......
तुम जरूर आना
बचपन तुम लौट के आना।
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