तुम्हारा मिलना
एक दिन
यूं हीं किसी मोड़ पर
मिलना तुम्हारा
पर न उम्र थी वैसी
न उम्मीद ही थी बाकी
पर मौसम का मिजाज था कुछ ऐसा
कि होना ही था कुछ न कुछ अनोखा
तुम्हारा...
यूं हीं किसी मोड़ पर
मिलना तुम्हारा
पर न उम्र थी वैसी
न उम्मीद ही थी बाकी
पर मौसम का मिजाज था कुछ ऐसा
कि होना ही था कुछ न कुछ अनोखा
तुम्हारा...