देश और सियासत,,,
देश एक है भईया समस्याएं अनेक हैं,
देखो भईया देश अपना फिर भी एक है,
ये मान सम्मान, सत्यनिष्ठा और वचनबद्धता,
छोड़ो किताबी ज्ञान सबको लालच की सेक है,
एक सुधारे देश को तो सब बिगाड़ें वेश को,
लहू खींचें ये जनता का कलयुगी दैत्य देक हैं,
जाए न सत्ता हाथ से जनता लगा दें...
देखो भईया देश अपना फिर भी एक है,
ये मान सम्मान, सत्यनिष्ठा और वचनबद्धता,
छोड़ो किताबी ज्ञान सबको लालच की सेक है,
एक सुधारे देश को तो सब बिगाड़ें वेश को,
लहू खींचें ये जनता का कलयुगी दैत्य देक हैं,
जाए न सत्ता हाथ से जनता लगा दें...