...

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उम्मीद

कैसे समझाउ मैं, घर में की न करे उम्मीदें इतनी, जो कभी तकलीफ दे...
डर है कही खो न दू अपनो की चहरो की मुस्कुराहटे..
यू चंद दिनों में खुशियों का सैलाब आया,
अभी उनका आना बांकी है,
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