...

11 views

जब भी..
जब भी आईने मे खुद को देखोगी तो मैं याद आऊँगा
जब भी अपनी जुल्फो को सवारोगी की तो मैं याद आऊँगा

भूल जाना मुझे इतना आसान नहीं
जब भी आंखो से आंसू गिरेंगे तो मैं याद आऊँगा

सर-ए शाम की सुहानी रुत में
जब भी सैर पे निकलोगी तो मैं याद आऊँगा

जहा मिल जाते थे हम कभी आते जाते
जब भी उन रास्तों से गुजरेगी तो मैं याद आऊँगा

शमा की आग में जलते सुलगते जब भी किसी
परवाने को जलते देखोगी तो मैं याद आऊँगा