अपने पराए
अपने खोजन हम चले,मिले बेगाने लोग।
न जाने क्या हो गया,जग में अदभुत रोग।।
स्वार्थ के संसार में, लुप्त हुआ उपकार।
सब ही हासिल चाहते, नही कोई देवनहार।।
फकत राज धन का यहां, है विद्या लाचार।
करते ज्ञानी नौकरी, धनिक देय रूजगार।।
अपनो से अपनापन...
न जाने क्या हो गया,जग में अदभुत रोग।।
स्वार्थ के संसार में, लुप्त हुआ उपकार।
सब ही हासिल चाहते, नही कोई देवनहार।।
फकत राज धन का यहां, है विद्या लाचार।
करते ज्ञानी नौकरी, धनिक देय रूजगार।।
अपनो से अपनापन...