खुशियाँ और दिल..
खुशियाँ ढूढ़ता हु दर बदर की ठोंकरों मे..!!
दिल अपना कोई खगालता नहीं..!!
बूढा हुआ नहीं कभी ये दिल बेचारा..!!
बचपन मे खुद को कभी कोई लाता नहीं..!!
जिम्मेदार हूँ ये कहकर खुद को बड़ा कर लिया है..!!
बुझे हुए दिल को कभी हसाता कोई नहीं..!!
रुला रुला कर अब इस दिल को कमज़ोर कर लिया है सब ने..!!
ख़ुशीयों को खुद मे ढूढ़ पाता कोई नहीं..!!
खुशियाँ ढूढ़ता हु दर बदर की ठोंकरों मे..!!
दिल अपना कोई खगालता नही..!!
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