...

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पिता


बाहर से दिखते शांत मुख मुस्कान से सहेजते हुए

चलते हैं अंतर्मन में जो गहन गंभीरता समेटते हुए

मन ही मन अपनी ही धुन में करते हैं वैचारिक संघर्ष

हर कठिनाई झेल जाते भविष्य संवारने को सहर्ष

कुटुंब संभालने को हर संभव जो करते हैं निर्वाह

जिंदगी के असंख्य तूफ़ां पार कर जाते बिन परवाह

रखते जिगर फ़ौलाद सा परिवार का जो बन मुखिया

चेहरे पर रख मुस्कान बच्चों का दिल है वह जीतता

कर्तव्य निष्ठा, ईमानदारी संयम, हौसला,साहस के गुण

संस्कारों की बन सुंदर फ़सल ख़ानदान को जाता सींचता

भांप जाए मन की बातें ऐसी नज़र है उसकी पारखी

संभाल लेता हर मनो:स्थिति बनकर वह सुंदर सारथी

जलता रहे तपता रहे बिना उफ्फ़ किए वह सर्वदा

निखर जाता और भी अपनों की ख़ुशी जब है देखता

जी जाता है सारा जीवन रखता नहीं कोई मलाल

हां, वह है पिता, वह है पिता इस जग में जिसका नहीं जवाब।

ज्योति महाजन✍️
स्वरचित
©️®️