आदत
बचपन से ही चीजें हो या लोग मुझे आदत बहुत जल्दी पड़ जाती है, फिर वो तभी छूटती है जब तक कोई वो सब छीन ना ले मुझसे ।
बचपन में माँ के साथ एक कोने में सोने की आदत थी मुझे
फिर दिन भर बैठती थी तो बस उसी कोने में
उसी कोनें में दिन भर बैठकर पढ़ भी लेती थी
पता नहीं वो bed का कोना क्यों नहीं छूटता था मुझसे।
फिर बड़े हो कर जब अलग bed मिला तो फिर एक कोना चुन लिया मैंने और हर रोज़ वहीं सोती हूँ मैं
शायद एक आदत ही तो है ये!
एक और आदत नाजाने कब लग गई कि सुबह उठते ही मैं माँ को ढूँढती हूँ उनके बिना जैसे सुबह की शुरुआत ही नहीं होती ।
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बचपन में माँ के साथ एक कोने में सोने की आदत थी मुझे
फिर दिन भर बैठती थी तो बस उसी कोने में
उसी कोनें में दिन भर बैठकर पढ़ भी लेती थी
पता नहीं वो bed का कोना क्यों नहीं छूटता था मुझसे।
फिर बड़े हो कर जब अलग bed मिला तो फिर एक कोना चुन लिया मैंने और हर रोज़ वहीं सोती हूँ मैं
शायद एक आदत ही तो है ये!
एक और आदत नाजाने कब लग गई कि सुबह उठते ही मैं माँ को ढूँढती हूँ उनके बिना जैसे सुबह की शुरुआत ही नहीं होती ।
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