इस मैं की
यू फ़ासले है इस क़दर
की नजदीक़ होकर भी है दूरियां
जाने क्यूँ है बशर की बशर से
ये ख़ुद मैं की बनाई मजबूरियां
तू कहें मिटा दें ख़ुद की हस्तीयाँ
फ़िर भी कर रहा बशर मैं की...
की नजदीक़ होकर भी है दूरियां
जाने क्यूँ है बशर की बशर से
ये ख़ुद मैं की बनाई मजबूरियां
तू कहें मिटा दें ख़ुद की हस्तीयाँ
फ़िर भी कर रहा बशर मैं की...