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हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न?
हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
कंधे से कंधा मिलाकर नौकरी तुम्हारे तरह ही करते है,
बस सबसे पहले सिर्फ उठकर कर हर काम निपटा कर निकलना पड़ता है - कौन सी बड़ी बात है?

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
एक ही भीड़ मे चलकर जाते है;
हा थोड़ा बोहुत धक्का मुक्की का फायदा उठाकर , जान बुझकर कोई अपना ही बस्तु समझकर कहीं पर भी छू दे तो
क्या फर्क पड़ता है? अगर इतना ही तकलीफ हे तो ब्यक्तिगत बाहन मे आओ सुनकर बस कोई कोई चुप हो जाया करते है।

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
काम से घर लौटने के बाद बच्चों और परिवार वालोंं की फरमाइश पूरा करने मे लग जाते है।
कौन सी बड़ी बात है? बहु बेटियों को तो यही काम शोभा देता है।

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
तवियत का रूठना हमें शोभा नहीं देता;
कुछ भी बिखरा हुआ हो अगर - तो कुछ नहीं
ज्यादा से ज्यादा तुम्हारा ध्यान किधर रहता है?
इन दिनों सुनकर चुप हो जाया करते है।

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
जो प्रेम मे जीने-मरने के कसमें जबानी मे लेते है,
फिर कोई कोहरे के आड़ मे तुम्हारे लिए गुम हो जाना कितना आसान होता हे, है न?
लेकिन जिस ज़माने ने मीरा के प्रेम पर भी संदेह किया हो,
वह जमाना हमें उलाहनाओ के गुलदस्ता के अलावा क्या ही भेजेगी!
क्या फर्क पड़ता हे? ऊँगली तो हमेशा नारीयों पर ही उठती है।

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
विवाह के लिए तुम्हें माता सीता जैसी जीवनसाथी चाहिए,
मगर बिडम्बना देखो !
समाज मे द्रौपदी के वस्त्रहरण करने वाले दुशासन की कमी नहीं है।

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न!
जो अपनी सारी ख़ुशी तुम्हारे ख़ुशी मे ढूंढती हे
बदले में कुछ नहीं -
अपने सारे अरमानों को तुम्हारे प्यार के ताबूतों मे घुटने के लिए छोड़ देती है।

हम नारी भी पुरुष के समान ही हे न।?

Prakriti ✍🏻