...

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नकलची छात्र का आरोप
हम दिन रात पढ़कर भी फेल हो जाते हें
क्यूँ नहीं ये शिक्षक जेल चले जाते हें
परीषा ने हमें खूब सताया हें
दिन रात बंदर सा नचाया हैं
परिषा ने हमारे चैन चुरायें हैं
दिन में ही अनगिनत तारे दिखलायें हें
हाय परीक्षा ने मल्टीप्लेक्स को वीरान किया
पार्क के बेंचों को सुनसान किया
परीक्षा की मार से हर छात्र तृष्त हें
जिसे देखो वही इस रोग से ग्रस्त हें
आपका प्यार चाहिए
बस नक़ल करने का थोड़ा सा अधिकार चाहिए