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शायरी
तमन्ना नहीं जिंदगी की
तबस्सुम की तुम्हारी नूर बनना चाहती हूँ
देख सको खुद को तुम जिसमें,
रूह का वो तुम्हारी आइना होना चाहती हूँ
इसे इकरार-ऐ-मोहब्बत समझो
या समझो तुम मेरी आरज़ू
अपनी सी लगती है तुम्हारी माँ मुझें
तुम्हारी माँ को मैं माँ कहना चाहती हूँ
© ©meenu🌸
तबस्सुम की तुम्हारी नूर बनना चाहती हूँ
देख सको खुद को तुम जिसमें,
रूह का वो तुम्हारी आइना होना चाहती हूँ
इसे इकरार-ऐ-मोहब्बत समझो
या समझो तुम मेरी आरज़ू
अपनी सी लगती है तुम्हारी माँ मुझें
तुम्हारी माँ को मैं माँ कहना चाहती हूँ
© ©meenu🌸
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