शायरी
तमन्ना नहीं जिंदगी की
तबस्सुम की तुम्हारी नूर बनना चाहती हूँ
देख सको खुद को तुम जिसमें,
रूह का वो...
तबस्सुम की तुम्हारी नूर बनना चाहती हूँ
देख सको खुद को तुम जिसमें,
रूह का वो...