...

8 views

काकोरी कांड
भारत के जब जवां दिलों की,धड़कन थी धक–धक दौड़ी,
शाहजहांपुर से चलके वो, आ के रुकी थी काकोरी।
जब क्रांति की ज्वाला में जलती लकड़ी कमज़ोर पड़ी,
वीणा,त्रिशूल का साथ छोड़,लक्ष्मी उस ओर जा हुई खड़ी।
तब चोरों की चोरी पे करने को छीना जोरी,
राम प्रसाद बिस्मिल की सेना आ पहुंची थी काकोरी।
बमतुल संग आजाद , रौशन, जो भारी थे सौ पे,
वीरत्व लिए अशफ़ाक़ , मुकुंदी, तेजवंत कुल नौ थे।
जैसे–जैसे लौहपथगामिनी , गंतव्य पे बढ़ती जाती थी,...