"गज़ल"
हमें गुमनामी मंज़ूर है,पहचान आप रख लिजिये।
आने दो श्राप हिस्से में,वरदान आप रख लिजिये।।
फ़ीता फेंकोगे,कचहरी जाओगे,तारीख़ें पड़ेंगी-
हमसे नही होगा सब,ये मकान आप रख...
आने दो श्राप हिस्से में,वरदान आप रख लिजिये।।
फ़ीता फेंकोगे,कचहरी जाओगे,तारीख़ें पड़ेंगी-
हमसे नही होगा सब,ये मकान आप रख...