...

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किस्सा...
इस दुनिया में हमीं तक रह गया किस्सा हमारा
किसी ने ख़त नहीं खोला हमारा
पढ़ाई चल रही है अब भी ज़िंदगी की
अभी तक उतरा नहीं बस्ता हमारा
जमाने को फ़िर भी हम महंगे लग रहे थे
मगर साँसों का ही तो खर्चा था हमारा
तरफदारी नहीं कर पाये हैं कभी अपने दिल की
अकेला ही रह गया खुद का बन के सहारा
कोई समझे तो ज़रा हमें भी चाहिए तन्हाई
समझती ही नहीं यह कमबक्त ज़िंदगी हमारी...✍
jaswinder chahal
10/12/2023
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