खामोशी....
खामोश कर लिया अब मेने मेरी जुबां को
जानता हूँ कोई वजूद नहीं मेरे शब्दों का...
कहने को तो लाख बातें है मेरे सीने में छुपी
पर आख़िर सुकून से...
जानता हूँ कोई वजूद नहीं मेरे शब्दों का...
कहने को तो लाख बातें है मेरे सीने में छुपी
पर आख़िर सुकून से...