अपने लोग
ये कलयुग में कौन है।
कौन है अपना,
कौन है पराया,
अपने ही पराए हो गए है
सपने ही अपने होने लगे है।
कुछ बातें, कुछ लोग,
लोगो को अपनी आदत बना देती है।
बस उसके बिना रहना मुश्किल होता है।
और उसी को लोग प्यार का नाम दे देते है।
बाते होती है लोगो से
नाराजगी होती है लोगो से
लोगो से दूरी या अपनापन होता है।।।
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कौन है अपना,
कौन है पराया,
अपने ही पराए हो गए है
सपने ही अपने होने लगे है।
कुछ बातें, कुछ लोग,
लोगो को अपनी आदत बना देती है।
बस उसके बिना रहना मुश्किल होता है।
और उसी को लोग प्यार का नाम दे देते है।
बाते होती है लोगो से
नाराजगी होती है लोगो से
लोगो से दूरी या अपनापन होता है।।।
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