11 views
इश्क़ है या भ्रम है कोई
इश्क़ इतना मजबूर क्यूँ है?
वो पास होकर भी इतनी दूर क्यूँ है??
कोई है मगरूर तो कोई इतना मशहूर क्यूँ है?
है जब खुश हर कोई दुनिया में अपने
फ़िर वक्त का ही सब कुसूर क्यूँ है??
न मिल सकते हैं न बिछड़ने को हैं तैयार
ये ख्वाबों, ख्यालों का ऐसा दस्तूर क्यूँ है
आज भी आती है उन गलियों में बारिशें
वो बूँद इस मुहल्ले से
हर दफ़ा मिलता ज़रुर क्यूँ है??
कभी शाम आ जाती पलकों पर तो
कभी रात बुलानी पड़ती है!!
ये नींद है न जाने किसी रातों की
जिसे हर सुबह जगानी पड़ती है!!
कभी पर्वतों की आरज़ू तो कभी
सपनों का अधूरा रह जाना
ख्वाहिशों से न जाने,
नींद की कैसी अनबन रहती है!!
उठता है कोई सुकून से बिस्तर पर
कोई रहता है सुकून में ही लिपटा
चेहरे पर
सदियों के नींद की चादर ढकती है!!
सुनसान सी हैं ये मकानें
कहीं कोई शोर की दुकान लिए बैठा है!!
कोई है चोट पर नमक का घोल लगाए
तो कोई मुसाफ़िर इश्क़ का मरहम लिए बैठा है!!
कोई है शहरों में बदनाम सा हुआ
कोई खामियों की दर्पण लिए बैठा है!!
कोई है हर ख्वाहिश आंखों से छिनने को तैयार
कोई इश्क़ समझ इस भ्रम को
मन में समर्पण लिए बैठा है!!
कोई गुम है आज भी यादों में किसी के
कोई किसी के लिए
सब कुछ अर्पण करके बैठा है!!
इश्क़ है या है ये व्यूह कोई धोखे का
वाकिफ़ है दुनिया के हकीक़त से फ़िर भी
कर नाम उसके ज़िन्दगी का हर कण बैठा है!!
मोहब्बत है या है भ्रम ये कोई
कभी सच्चा कभी छलावा लगता है
हो सकता है मैं परे हूँ इससे
पर है झूठ बिल्कुल ये भी नहीं
कि ये किस्मत का बहकावा लगता है।।
© Princess cutie
वो पास होकर भी इतनी दूर क्यूँ है??
कोई है मगरूर तो कोई इतना मशहूर क्यूँ है?
है जब खुश हर कोई दुनिया में अपने
फ़िर वक्त का ही सब कुसूर क्यूँ है??
न मिल सकते हैं न बिछड़ने को हैं तैयार
ये ख्वाबों, ख्यालों का ऐसा दस्तूर क्यूँ है
आज भी आती है उन गलियों में बारिशें
वो बूँद इस मुहल्ले से
हर दफ़ा मिलता ज़रुर क्यूँ है??
कभी शाम आ जाती पलकों पर तो
कभी रात बुलानी पड़ती है!!
ये नींद है न जाने किसी रातों की
जिसे हर सुबह जगानी पड़ती है!!
कभी पर्वतों की आरज़ू तो कभी
सपनों का अधूरा रह जाना
ख्वाहिशों से न जाने,
नींद की कैसी अनबन रहती है!!
उठता है कोई सुकून से बिस्तर पर
कोई रहता है सुकून में ही लिपटा
चेहरे पर
सदियों के नींद की चादर ढकती है!!
सुनसान सी हैं ये मकानें
कहीं कोई शोर की दुकान लिए बैठा है!!
कोई है चोट पर नमक का घोल लगाए
तो कोई मुसाफ़िर इश्क़ का मरहम लिए बैठा है!!
कोई है शहरों में बदनाम सा हुआ
कोई खामियों की दर्पण लिए बैठा है!!
कोई है हर ख्वाहिश आंखों से छिनने को तैयार
कोई इश्क़ समझ इस भ्रम को
मन में समर्पण लिए बैठा है!!
कोई गुम है आज भी यादों में किसी के
कोई किसी के लिए
सब कुछ अर्पण करके बैठा है!!
इश्क़ है या है ये व्यूह कोई धोखे का
वाकिफ़ है दुनिया के हकीक़त से फ़िर भी
कर नाम उसके ज़िन्दगी का हर कण बैठा है!!
मोहब्बत है या है भ्रम ये कोई
कभी सच्चा कभी छलावा लगता है
हो सकता है मैं परे हूँ इससे
पर है झूठ बिल्कुल ये भी नहीं
कि ये किस्मत का बहकावा लगता है।।
© Princess cutie
Related Stories
10 Likes
2
Comments
10 Likes
2
Comments