मौत
किसी शायर ने मौत पर क्या खूब लिखा है।।
था मैं नींद में और मुझे सजाया जा रहा था,
बड़े प्यार से मुझे,नहलाया जा रहा था,
ना जाने था वो कोनसा अजब खेल मेरे घर में,
बच्चो की तरह मुझे कंधे पे उठाया जा रहा था,
था पास मेरे हर अपना उस वक़्त फिर भी,
मैं हर किसी के मन से बुलाया जा रहा था,
जो कभी देखते भी थे मुझे मोहब्बत की निगाहों से,
उनके दिल से भी प्यार मुझपे लुटाया जा रहा था,
काँप उठी मेरी रूह , वो मंजर देख कर,
जाने मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था,
मोहब्बत की इंतेहा थी ,जिन दिलों में मेरे लिए,
उन्ही दिलों के हाथों आज मैं जलाया जा रहा था ।।
था मैं नींद में और मुझे सजाया जा रहा था,
बड़े प्यार से मुझे,नहलाया जा रहा था,
ना जाने था वो कोनसा अजब खेल मेरे घर में,
बच्चो की तरह मुझे कंधे पे उठाया जा रहा था,
था पास मेरे हर अपना उस वक़्त फिर भी,
मैं हर किसी के मन से बुलाया जा रहा था,
जो कभी देखते भी थे मुझे मोहब्बत की निगाहों से,
उनके दिल से भी प्यार मुझपे लुटाया जा रहा था,
काँप उठी मेरी रूह , वो मंजर देख कर,
जाने मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था,
मोहब्बत की इंतेहा थी ,जिन दिलों में मेरे लिए,
उन्ही दिलों के हाथों आज मैं जलाया जा रहा था ।।