ख्वाइशों के बग़ीचे में
ख्वाइशों के बग़ीचे में
उड़ान भरते हैं
यादों के झुरमुट में खोए रहते हैं
कोई कुछ कहे
तो भी न सुनते हैं
अपनी ही धुन में मग्न रहते हैं
ख्वाइशों के झुरमुट में
खोए रहते हैं
ख्वाबों का क्या है
इन्हें देखने में कौन सा
रोकड़ा लगता है
फिर क्यों न देखें...
उड़ान भरते हैं
यादों के झुरमुट में खोए रहते हैं
कोई कुछ कहे
तो भी न सुनते हैं
अपनी ही धुन में मग्न रहते हैं
ख्वाइशों के झुरमुट में
खोए रहते हैं
ख्वाबों का क्या है
इन्हें देखने में कौन सा
रोकड़ा लगता है
फिर क्यों न देखें...