वो?
वो शख्स मुझे कुछ इस कदर निहार रहा था,
कहना बहुत कुछ था जैसे, पर अपने कदमों को एक भ्रम में आकर पीछे हटा रहा था!
करी हिम्मत, हुआ मेरे रूबरू और किया इज़हार, उसने कुछ इस कदर मेरा आज,
क्या हुआ, कहाँ गया वो शख्स जो खुद के लिए जीता था,
कहाँ गयी वो हसी जो खुश होने पर आती थी,
क्या...
कहना बहुत कुछ था जैसे, पर अपने कदमों को एक भ्रम में आकर पीछे हटा रहा था!
करी हिम्मत, हुआ मेरे रूबरू और किया इज़हार, उसने कुछ इस कदर मेरा आज,
क्या हुआ, कहाँ गया वो शख्स जो खुद के लिए जीता था,
कहाँ गयी वो हसी जो खुश होने पर आती थी,
क्या...