...

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वो?
वो शख्स मुझे कुछ इस कदर निहार रहा था,
कहना बहुत कुछ था जैसे, पर अपने कदमों को एक भ्रम में आकर पीछे हटा रहा था!
करी हिम्मत, हुआ मेरे रूबरू और किया इज़हार, उसने कुछ इस कदर मेरा आज,
क्या हुआ, कहाँ गया वो शख्स जो खुद के लिए जीता था,
कहाँ गयी वो हसी जो खुश होने पर आती थी,
क्या दिखा रही हो, और क्या हो रहा है
क्या बीते कल के अफसोस और आने वाले कल की चिंता में बस आज दाव पर लगा दिया है,
वो मुस्कुरा रहा था, पर उसकी आँखों में एक दरिया था,
ना जाने वो गम छुपाने की कला, या खुद को धोखा देने का नजरिया था,
मुस्कुरा कर आईने में देख कर ,
कोई दूसरा शख्स नही था, मेरी रूह का साया ही था,
जो मुझे कुछ यूँ निहार रहा था,
कहना बहुत कुछ था जैसे, पर अपने कदमों को एक भ्रम में आकर पीछे हटा रहा था!
© kuchh bat hai, kyuki jazbaat hai🧿❤