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प्रकृति की छाँव
बड़ी अनोखी इस दुनिया में,
अपनी धरती माता ।
सदा निभाती रहती जग में,
माँ का रिश्ता - नाता ॥
भोजन-पानी-वायु तीन हैं ,
जीवन के आधार ।
बिना कहे कुछ देती रहती ,
है जीवन भर प्यार ॥
माँ सब-कुछ यह देगी तब तक ,
जब तक है हरियाली ।
नयी कोपलें सजी रहेंगी ,
पुष्पित डाली - डाली ॥
अनुचित दोहन करें न इसका ,
करें नहीं आघात ।
धरती माता देगी अविरल ,
जीवन भर सौगात ॥
© All Rights Reserved
अपनी धरती माता ।
सदा निभाती रहती जग में,
माँ का रिश्ता - नाता ॥
भोजन-पानी-वायु तीन हैं ,
जीवन के आधार ।
बिना कहे कुछ देती रहती ,
है जीवन भर प्यार ॥
माँ सब-कुछ यह देगी तब तक ,
जब तक है हरियाली ।
नयी कोपलें सजी रहेंगी ,
पुष्पित डाली - डाली ॥
अनुचित दोहन करें न इसका ,
करें नहीं आघात ।
धरती माता देगी अविरल ,
जीवन भर सौगात ॥
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