18 views
जिंदगी फिर पटरी पे दौङेगी
आज फैली मुश्किलें हर प्रांत है
हर मन हुआ बङा अशांत है
थम गयी है हर जीवन की राह
रुकी पङी है हर मन की चाह
उतरी है हर जिंदगी जरा पटरी से
गुजर रही है थोङी संकरी से
है सब्र राह सुख की ओर मोङेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी.........
फिर होगी सहर वही समा होगा
घूमने को तन मन हमनुमा होगा
खुल जाएंगे बाग फिर बिहार
फिर बह उठेगी वही बयार
फिर दौङेंगे बच्चे स्कूल की ओर
फिर आरती नमाज में होगी भोर
फिर नयी किरण ताले खोलेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी.......
खुल जाएंगी फिर बंद दुकानें
निकल जाएंगे फिर कुछ कमाने
फिर सज जाएंगे वही बाजार
चल उठेगा फिर व्यापार
फिर खत्म होगी जोह रहे बाट
फिर भर जाएंगे दुकानें और हाट
फिर मालिनी सुगंधित पुष्प बटोरेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी..................
फिर धकलेंगे फल फूल शाक के ठेले
फिर सज जाएंगे वहीं झूमते मेले
फिर ढो बोझा निकलेगा पसीना
फिर शान से होगा वही मेरा जीना
घुमा चाक फिर बन जाएंगे मटके
सजेंगे खिलौने भर रंग मनके
फिर सुनहरी धूप नये रंग सोखेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी...............
है आज मन मेरा घबराया है
भयभीत सा समय कुछ आया है
बीत जाएगा है जो अंधकार है
फिर उजलेगी किरण संवार है
फिर देगी दस्तक हर मुस्कान जिंदगी
पार होंगे फिर सभी कर बंदगी
फिर मंगल बेला नव सुख जोङेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी............
रच जाएगा फिर नया गीत कोई
रम जाएगा नाट्य प्रीत दिलजोई
बिखरेंगे रंग फिर कोई कैनवास पे
फिर लौटेंगे प्रवासी अपने वास पे
हो मजबूर भटक रहे दर दर हैं
लौटेंगे अपने अपने जो बेघर है
फिर मजबूती करीबी लौटेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी..............
फिर नये परिधान सिल जाएंगे
सुंदर आभूषण फिर चमक जाएंगे
सलबटों पे इस्त्री फिर चल जाएगी
सुगंध कहीं से फिर महक जाएगी
रिक्शा टेम्पो फिर यात्री टेर लगाएंगे
सज दूल्हा बाराती रास्ते देर लगाएंगे
फिर ग्रह कोई नयी दुल्हन बोलेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी............
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी..........
--kumar vikas
हर मन हुआ बङा अशांत है
थम गयी है हर जीवन की राह
रुकी पङी है हर मन की चाह
उतरी है हर जिंदगी जरा पटरी से
गुजर रही है थोङी संकरी से
है सब्र राह सुख की ओर मोङेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी.........
फिर होगी सहर वही समा होगा
घूमने को तन मन हमनुमा होगा
खुल जाएंगे बाग फिर बिहार
फिर बह उठेगी वही बयार
फिर दौङेंगे बच्चे स्कूल की ओर
फिर आरती नमाज में होगी भोर
फिर नयी किरण ताले खोलेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी.......
खुल जाएंगी फिर बंद दुकानें
निकल जाएंगे फिर कुछ कमाने
फिर सज जाएंगे वही बाजार
चल उठेगा फिर व्यापार
फिर खत्म होगी जोह रहे बाट
फिर भर जाएंगे दुकानें और हाट
फिर मालिनी सुगंधित पुष्प बटोरेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी..................
फिर धकलेंगे फल फूल शाक के ठेले
फिर सज जाएंगे वहीं झूमते मेले
फिर ढो बोझा निकलेगा पसीना
फिर शान से होगा वही मेरा जीना
घुमा चाक फिर बन जाएंगे मटके
सजेंगे खिलौने भर रंग मनके
फिर सुनहरी धूप नये रंग सोखेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी...............
है आज मन मेरा घबराया है
भयभीत सा समय कुछ आया है
बीत जाएगा है जो अंधकार है
फिर उजलेगी किरण संवार है
फिर देगी दस्तक हर मुस्कान जिंदगी
पार होंगे फिर सभी कर बंदगी
फिर मंगल बेला नव सुख जोङेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी............
रच जाएगा फिर नया गीत कोई
रम जाएगा नाट्य प्रीत दिलजोई
बिखरेंगे रंग फिर कोई कैनवास पे
फिर लौटेंगे प्रवासी अपने वास पे
हो मजबूर भटक रहे दर दर हैं
लौटेंगे अपने अपने जो बेघर है
फिर मजबूती करीबी लौटेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी..............
फिर नये परिधान सिल जाएंगे
सुंदर आभूषण फिर चमक जाएंगे
सलबटों पे इस्त्री फिर चल जाएगी
सुगंध कहीं से फिर महक जाएगी
रिक्शा टेम्पो फिर यात्री टेर लगाएंगे
सज दूल्हा बाराती रास्ते देर लगाएंगे
फिर ग्रह कोई नयी दुल्हन बोलेगी
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी............
कि जिंदगी फिर पटरी पर दौङेगी..........
--kumar vikas
Related Stories
7 Likes
0
Comments
7 Likes
0
Comments