...

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पहली ख्वाइश
बस कुछ दिन की बातें हैं, फिर तुम भी छोड़ चले जाओगे
सच कहता हूं जाने वाले, मुझको याद बहुत आओगे
तेरे जैसा जीवन साथी, पा करके वो खुश होगा
पर मुझसे तुम तन्हा होकर, सच में खुश रह पाओगे?
क्या मेरे जैसे उसको भी, तुम्हें रिझाना आता होगा?
खुद रूठा रह करके भी, क्या तुम्हें मनाना आता होगा?
तेरी प्यारी आंखों पर, क्या कविता गाना आता होगा?
देख तेरा मुरझाया चेहरा, उसे खिलाना आता होगा?
शायद वो ये सब कर दे, पर बात बताओ मेरी जान
क्या तुझको बिन बातों के, उसे हंसाना आता होगा?
पर मेरी तक़दीर में शायद, लिखे नहीं तुम इस बारी
पर जब तक उम्मीद बची है, दिल मानेगा न हारी
कैसे तुझको समझाऊं मैं, चाहत मेरे इस दिल की
तू ही पहली ख्वाइश इसकी, और तू ही बस आखिरी...
© Er. Shiv Prakash Tiwari